नई दिल्ली: 6 मार्च का दिन देश के लिए खास है। क्योंकि अभी तक आप सब ने मेट्रो को अंडरग्राउंड देखा होगा या फिर सफर किया होगा। लेकिन कभी नदी के नीचे मेट्रो को चलते हुए नहीं देखा होगा। लेकिन अब आप कोलकाता में हुगली नदी के नीचे बुधवार से भारत की पहली अंडरवाटर मेट्रो को चलते हुए देखेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन बुधवार को करेंगे। इसकी गहराई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जमीन से तकरीबन 11 मंजिली इमारत की ऊंचाई के बराबर नीचे मेट्रो दौड़ेगी। यानि सतह से 33 मीटर नीचे।
यह सुरंग हुगली नदी के पूर्वी तट पर एस्प्लेनेड और पश्चिमी तट पर हावड़ा मैदान को जोड़ेगी। हावड़ा से एस्प्लेनेड तक का कुल मार्ग 4.8 किलोमीटर लंबा है। आधा किलोमीटर लंबी इस पानी के अंदर की सुरंग से यात्री 1 मिनट से भी कम समय में गुजरेंगे। यह सुरंग 120 साल का आंकलन करके बनाई गई है। हुगली के नीचे बनी सुरंग की लंबाई 520 मीटर और ऊंचाई 6 मीटर है।
ये प्रोजेक्ट थी बड़ी चुनौती।
कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर (प्रोजेक्ट एंड प्लानिंग) सैयद मो. जमील हसन बताते हैं कि 2010 में टनल बनाने का कॉन्ट्रैक्ट एफकॉन्स कंपनी को दिया। एफकॉन्स ने जर्मन कंपनीहेरेनकनेक्ट सेल बोरिंग मशीन (टीबीएम) मंगाईं. इन मशीनों के नाम प्रेरणा और रचना हैं, जो एफकॉन्स के एक कर्मचारी की बेटियों के नाम पर हैं।
इस प्रोजेक्ट की दो सबसे बड़ी चुनौतियां थीं। पहली खुदाई के लिए सही मिट्टी का चुनाव और दूसरी टीबीएम की सेफ्टी कोलकाता में हर 50 मी. दूरी पर अलग-अलग तरह की मिट्टी मिलती है। टनल के लिए सही जगह पहचानने के लिए मिट्टी के सर्वे में ही 5-6 महीने गुजर गए 3 से 4 बार सर्वे के बाद तय हुआ कि हावड़ा ब्रिज से हुगली नदी के तल से 13 मी. नीचे की मिट्टी में टनल बन सकती है।
प्रतिदिन 7 लाख यात्री करेंगे सफर!
कुछ अंडर वॉटर मेट्रो रूट ईस्ट-वेस्ट कोरिडोर (ग्रीन लाइन) का हिस्सा है, जिसमें हावड़ा मैदान से एस्प्लनेड तक 4.8 किमी रूट बनकर तैयार है। इसमें 4 अंडरग्राउंड स्टेशन हैं- हावड़ा मैदान, हावड़ा स्टेशन, महाकरण और एस्प्लनेड हावड़ा स्टेशन जमीन से 30 मी. नीचे बना है। ये दुनिया में सबसे गहराई में बना मेट्रो स्टेशन हैं. अभी पानी के नीचे मेट्रो रूट लंदन और पेरिस में ही बना है।
हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड के बीच पानी के नीचे मेट्रो सुरंग टनल पर कोलकाता मेट्रो रेलवे के जनरल डायरेक्टर उदय कुमार रेड्डी ने कहा, ‘हम नदी के पानी के स्तर से लगभग 16 मीटर नीचे यात्रा कर रहे हैं। हम प्रतिदिन 7 लाख यात्रियों की संख्या की उम्मीद कर रहे हैं।’